What is Viscosity in Hindi

What is Viscosity in Hindi

प्रिय मित्रों, आज हम आपके बीच What is Viscosity in Hindi को साँझा कर रहे है | इसमें श्यानता (What is Viscosity in Hindi) की परिभाषा एवं महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है | आप इन सभी जानकारी की मदद से किसी भी परीक्षायों की तैयारी कर सकते है | यह सभी छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी |

👉What is Viscosity

श्यानता (Viscosity)

श्यानता (Viscosity) क्या है :- श्यानता (Viscosity) की परिभाषा यह है कि किसी भी द्रव के बहने का जो आन्तरिक प्रतिरोध है वह द्रव की श्यानता (Viscosity) कहलाता है। जिस भी द्रव का यदि आन्तरिक प्रतिरोध (Internal resistance) कम होगा, वह द्रव की बहने की गति अधिक होगी अर्थात् द्रव की आन्तरिक प्रतिरोध कम होगी तो द्रव तेज़ी से बहेगा | जिस द्रव का आन्तरिक प्रतिरोध होगा उसमे बहाव अधिक होगा | बिलकुल ठीक इसी से विपरीत देखे तो यदि किसी भी द्रव का आन्तरिक प्रतिरोध अधिक होगा, उस द्रव का बहाव बहुत कम होगा अर्थात् द्रव की आन्तरिक प्रतिरोध अधिक होगी तो द्रव धीमी गति से बहेगा | अत: द्रव की आन्तरिक प्रतिरोध अधिक होगी तो बहाव कम होगा |

CGS पद्धति (Centimetre–Gram–Second System of units) में श्यानता की इकाई हो हम डाइन/वर्ग सेमी से दर्शाते है । यह इकाई प्वाजली (Poiseuillo) के नाम पर पायस (Poisn) के नाम से भी जानी जाती है। इस इकाई का दूसरा नाम पायस (Poisn) है |

आमतौर पर ताप के बढ़ने के साथ साथ जो द्रव की श्यानता (Viscosity) वह कम होने लगती है | ताप के बढ़ने के साथ साथ द्रव के अणुओं की जो गतिज ऊर्जा है वह भी बढ़ने लगती है | गतिज ऊर्जा के बढ़ने के कारण ही द्रव के बहाव में तेज़ी आ जाती है अर्थात् द्रव तेज़ी से बहने लगता है | एक डिग्री ताप के बढ़ने पर श्यानता में हमे कुल 3% की कमी देखने को मिलती है | इस कारणों से पता चला की यदि ताप बढ़ता है तो द्रव का बहाव भी बढेगा तथा श्यानता में कमी आएगी और श्यानता के कमी आने के कारण द्रव का जो बहाव है जो अधिक हो जाता है |

श्यानता के कुछ महत्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-

  • जिसकी श्यानता तथा स्नेहक गुण ताप बढ़ाने पर भी उसमे कोई बदलाव ना हो वह एक अच्छा स्नहक होता है ।
  • उच्च रक्त चाप को स्थिति एवं हृदय पर पड़ने वाला दबाव श्यानता गुण के आधार पर समझा जा सकता है। आर्टिरियोस्केलरोसिस में धमनी की जो दीवारें होती है वो सिकुड़ जाती हैं जिसका परिणाम से कोशिकाओं का जो व्यास होता है वह कम हो जाता है। तंग कोशिकाओं में श्यानता के कारण जिस रक्त बहाव के प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, उसके फलस्वरूप से कोशिकाओं में बहने के लिए रक्त को अधिक बल की जरूरत होती है। जिसका परिणाम उच्च रक्त चाप व हदय पर दबाव पड़ता है।
  • ज्वर की जो अवस्था में बढ़े हुए रक्त परिवहन की जो आवश्यकता होती है वह ताप पर निर्भर करने वाले गुण से ही प्राप्त होती है । इसी प्रकार से जो श्यानता में कमी आती है उसके कारण धर्मनियों में जो रक्त का बहाव हृदय पर अतिरिक्त दबाव के बिना भी बढ़ जाती है।
  • ऐस्फाइसिया में CO की जो सान्द्रता रक्त में बढ़ जाती है उअर जिसक परिणाम कार्पसल्स में फुलावट होती है तथा तब रक्त की जो श्यानता होती है वह बढ़ जाती है।
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